Zinda Dili
Zinda Dili

ये जिंदादिली दिखाओ

( Ye zinda dili dikhao ) 

 

अगर ज़िंदा हो तो यारों तुम जिंदादिली दिखाओ,
हौंसले हिम्मत को अपना हथियार सभी बनाओ।
थोड़ी बहुत यह मानवता अपनी-अपनी दिखाओ,
अपनें अनमोल जीवन को सार्थक सभी बनाओ।।

बैर भाव, छल कपट ईर्ष्या अपनें मन से मिटाओ,
मनुष्य जीवन बड़ा दुर्लभ है इसे न कोई गंवाओ।
ये भरकर जोश दिल में ऐसा देश हेतु मिट जाओ,
इंकलाब का बिगुल बजाके दुश्मनों ‌को भगाओ।।

यह सुख दुःख आते जाते रहते इनसे न घबराओ,
अपनों का संग ना छोड़ों ये जिंदादिली दिखाओ।
ये रिश्ता चाहें कोई हो सबमे अपनापन दिखाओ,
जीवन अपना करों सार्थक सच्चा फ़र्ज़ निभाओ।।

दीन-दुखियों की भलाई में अपना समय लगाओ,
उनके भी है कई सपने कोई उनको भी सजाओ।
न टूटो न बिखरो तुम पहाड़ सी चट्टान बन जाओ,
अगर लड़ना पड़े उनके हक के लिए लड़ जाओ।।

मानव बनकर जन्में हो इसलिए लक्ष्य तो बनाओ,
बुजदिल बनकर न जीओ गगन तारा बन जाओ।
ज़रुरत पड़े तो देश सेवा में अमर आप हो जाओ,
मुर्दों सा जीवन न जीओ ये जिंदादिली दिखाओ।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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