ज़िन्दगी का भी अजब यह रंग है
ज़िन्दगी का भी अजब यह रंग है
ज़िन्दगी का भी अजब यह रंग है ।
पास जो जिसके उसी से तंग है ।।१
मैं नहीं कहता हँसी है ज़िन्दगी ।
बस अलग जीने का सबका ढ़ंग है ।।२
कर्म को जो दे रहा अंजाम सुन ।
वह कहेगा ज़िन्दगी इक जंग है ।।३
जो नही है मानता अब कर्म को ।
बस उसी की ज़िन्दगी में भंग है ।।४
खूबसूरत है प्रखर का हमसफ़र ।
हर तरफ़ छाया गुलाबी रंग है ।।५
महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )
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