ज़िंदगी को वो जहन्नुम ही बनाएगा
ज़िंदगी को वो जहन्नुम ही बनाएगा
ज़िंदगी में फूल को जो भी सताएगा
ज़िंदगी को वो जहन्नुम ही बनाएगा
तू डराना चाहता है मौत को प्यारे
ये बता तू मौत को कैसे डराएगा
बावली सी हो गयी मैं जानकर ये की
आज बेटा शौक से खाना पकाएगा
मानता हूं तू बहुत नाराज़ है लेकिन
भाई के बिन जश्न तू कैसे मनाएगा
वो बहुत ही हंँसमुखा इंसान है यारों
मौत को हंँसकर गले से वो लगाएगा
कुमार अहमदाबादी
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