ज़िन्दगी पर एक नज़्म | Zindagi Par ek Nazm
जिंदगी पर एक नज़्म
( Zindagi par ek nazm )
नज़्म
हँसती आँखों से दर्द बयाँ करने का नाम है जिन्दगी,
जहर-अमृत समझकर पीने का नाम है जिन्दगी।
नफरत की पगडंडी का कोई अंत ही नहीं,
मोहब्बत की डगर चलने का नाम है जिन्दगी।
हाथ नहीं रुकते थे तब नेक कामों से,
अब पैसे पे सोने का नाम है जिन्दगी।
रुपये-पैसे का पहाड़ कोई ले जा नहीं सकता,
अब हीरे से पत्थर बनने का नाम है जिन्दगी।
ख्वाहिशों की लौ लोग जला लिए इतनी,
उसी में डूबने-मरने का नाम है जिन्दगी।
कितने नशे में चूर हैं उन्हें होश तक नहीं,
चुपचाप आग में जलने का नाम है जिन्दगी।
मत तबाह करो दुनिया को तू मिसाइलों से,
एक दूजे के दिल में रहने का नाम है जिन्दगी।
सूर्य, चाँद -सितारे बुझाकर क्या पाओगे,
फिजाओं में खिलखिलाने का नाम है जिन्दगी।
उस खून की नदी में तुम क्या खोज रहे हो?
दूध की नदी में नहाने का नाम है जिन्दगी।
मत नष्ट कर किसी आँख का काजल,
आँखों से जाम पीने का नाम है जिन्दगी।
स्वर्ग का पक्षी बाद में बन, पहले तो इंसान बन,
अमन-शान्ति से रहने का नाम है जिन्दगी।
दरख्त काटकर अपना दूसरे की छाँव में मत बैठ,
औरों की साँस सजाने का नाम है जिन्दगी।
पत्थर की कोख में थकके नदी सो नहीं सकती,
इस तरह के जद्दोजहद का नाम है जिन्दगी।
दुःखों की बाढ़ में पहले बचा तू अपना गाँव,
ऐसे हृदय के पहाड़ का नाम है जिन्दगी।
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