जिंदगी में यहाँ बेबसी है बहुत | Zindagi poetry
जिंदगी में यहाँ बेबसी है बहुत
( Zindagi mein yahan bebasi hai bahut )
जिंदगी में यहाँ बेबसी है बहुत
इसलिए दूर मुझसे ख़ुशी है बहुत
प्यार का फूल ही कब मिला है मुझे
रोज़ मुझको मिली बेरुख़ी है बहुत
कल तलक दोस्ती थी जिससे ही यहाँ
आज उससे मगर दुश्मनी है बहुत
हर गली से मिली है मुझे नफ़रतें
प्यार की रोज़ ढूंढ़ी गली है बहुत
वो कभी भी हक़ीक़त नहीं बन सकता
जीस्त्त जो आरजू कर रही है बहुत
ख़ुश नसीबी क्या तक़दीर होगी यहाँ
जिंदगी में पैसे की कमी है बहुत
याद कोई आया इस क़दर है आज़म
आज यूं आंखों में ही नमी है बहुत