ज़िन्दगी यूँ थमी नहीं होती

ज़िन्दगी यूँ थमी नहीं होती

ज़िन्दगी यूँ थमी नहीं होती

ग़ुम हमारी ख़ुशी नहीं होती
ज़िन्दगी यूँ थमी नहीं होती

अपनी मंज़िल अगर हमें मिलती
आँख में फिर नमी नहीं होती

साथ देते अगर जहां वाले
दूर वो भी खडी नहीं होती

मेरे रब का करम हुआ ये तो
हाथ मंहदी लगी नहीं होती।

तुमको मालूम ही नहीं शायद
ज़िन्दगी सुख भरी नहीं होती

जबसे टूटा है दिल हमारा यह
तब से हसरत बड़ी नहीं होती

आप जो कल प्रखर नहीं आते
तो क्या महफ़िल सजी नहीं होती

Mahendra Singh Prakhar

महेन्द्र सिंह प्रखर 

( बाराबंकी )

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