Pyar ki Pahal
Pyar ki Pahal

प्यार की पहल

( Pyar ki pahal )

 

आसमां में खिला कँवल कहिए
चाँद पर आप इक ग़ज़ल कहिए

जो बढ़ा दे फ़िजा मुहब्बत की
प्रेयसी के नयन सजल कहिए

बाँध दे जो नज़र से धड़कन को
प्यार की आप वो पहल कहिए

बो दिया नब्ज़ मे दर्द-ए-कसक
प्रेम की बढ़ गई फसल कहिए

अंग में चँद्रिका निशा शबनम
रेणुका संग गंगाजल कहिए

हीर रोती मयंक के उल्फ़त
डाह का इक नया महल कहिए

सम-विषम जो बना रही हमको
रेख दिल में पड़ी सरल कहिए

 

डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
( वाराणसी )

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