ज़ुल्फें उनकी काले बादल
ज़ुल्फें उनकी काले बादल

ज़ुल्फें उनकी काले बादल

( Zulfen Unki Kaali Badal )

 

ज़ुल्फें  उनकी  काले    बादल।
चाँद भी मुख के आगे सायल।।

 

मीन -सी चंचल उनकी आँखें।
हिरनी  जैसी  बजती  पायल।।

 

अधरों   की   मुस्कान  न  पूछो।
कोमल दिल को कर दे घायल।।

 

फूलों  से  भी  नाजुक लगते।
गुलशन भी हो जाए कायल।।

 

आते  हैं   मासूम   नज़र  वो।
‘जालिम ‘ कहने वाले पागल।।

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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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