मिलेंगे दर्द दुनिया से बचोगे तुम भला कब तक
मिलेंगे दर्द दुनिया से बचोगे तुम भला कब तक

मिलेंगे दर्द दुनिया से बचोगे तुम भला कब तक

( Milenge Dard Duniya Se Bachoge Tum Bhala Kab Tak )

 

 

मिलेंगे दर्द  दुनिया से  बचोगे   तुम भला कब तक।
यहां अपने-पराये सब  चुनोगे तुम भला कब तक।।

 

गए तन्हा तुझे जो छोङ  कर मत आस कर उनकी।
ग़मों से वास्ता  रखना  डरोगे  तुम भला कब तक।।

 

नहीं  नाराज़  अब  होना  किसी भी बात पे उनकी।
दिलों से दूर कर देना  कहोगे  तुम भला कब तक।।

 

बुरा क्या मानना  उस  का  बुरा जो बोलता हरदम।
न करना गौर बातों पर सुनोगे तुम भला कब तक।।

 

दुखों के साथ जी  लेते  घुटन के साथ मुश्किल है ।
जियो अपने तरीके  से सहोगे तुम भला कब तक।।
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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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