Saboot Kya Doon Main Tumhara Hoon
Saboot Kya Doon Main Tumhara Hoon

सबूत क्या दूं मैं तुम्हारा हूं

( Saboot Kya Doon Main Tumhara Hoon )

 

 

 छत न दीवार न सहारा हूं।

सबूत क्या दूं मैं तुम्हारा हूं।।

 

एक की बात हो तो बतलाऊं,

हजारों खंजरों का मारा हूं।।

 

पोछ कर आंसू मुस्करा के कहा

बात कुछ भी नहीं बस हारा हूं।

 

कभी मुझको भी सूर्य कहते थे,

अब तो मैं  भोर का सितारा हूं।।

 

वक्त ने कैसे दिन दिखाये शेष,

अपने घर में ही बेसहारा हूं।।

 

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कवि व शायर: शेष मणि शर्मा “इलाहाबादी”
जमुआ,मेजा, प्रयागराज,
( उत्तर प्रदेश )

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