Shiksha Kavita | Shiksha Par Kavita | Poem On Shiksha -शिक्षा
शिक्षा
( Shiksha )
आज की नारी ( Aaj ki nari par kavita ) मंजिलों को पा रही मेहनत के दम पर नारी संस्कार संजोकर घर में महकाती केसर क्यारी शिक्षा खेल राजनीति में नारी परचम लहराती कंधे से कंधा मिलाकर रथ गृहस्ती का चलाती जोश जज्बा हौसलों बुलंदियों की पहचान नारी शिक्षा समीकरण देखो रचती…
भाई बहन का प्यार ( Bhai bahan ka pyar ) तुम हो मेरे प्यारे भइया, मैं तेरी प्यारी बहना। बहन को अपनी भूल न जाना, ओ मेरे प्यारे भइया। न मांगू मैं धन और दौलत, न ही एक रुपया। मेरे लिए राखी का मतलब, प्यार है मेरे भइया। तुम हो मेरे प्यारे भइया…. हर…
माँ का अंश ( Maa ka ansh ) साँसों का चलना ही जीना होता तो मकसद क्यूं बनते, आपका जाना भी मकसदों का मिटना है माँ- थोड़े और दिन तो मेरे मकसदों का हिस्सा बनते। मैंने पाया है चाहे लाख गुना, पर दिल की गुज़ारिशों के आगे सब फीके लगते, आपका अंश मैं आप…
अपनों ने ही घाव गहरे दिए ( Apno ne hi ghav gehre diye ) सच्चाई का दिया साथ तो हम गैर हो लिए। अपनों ने ही घाव गहरे वो दर्द हमको दिए। माना था कि साथ देंगे हमें जिंदगी में सभी। निज स्वार्थ साध वो भी अपने रस्ते हो लिए। टूटने ना देंगे हम…
तैराकी ( Tairaki ) डुबाती है तैराकी आपकी या गहराई पानी की लहरे तो हैं दोषी यूं ही जो लाती हैं किनारे त वीसीक… समझे नही देखे नही उतर गए प्रवाह मे! होती है शर्त परिणाम की फूल बिछे नही राह मे… तर गए जो तैर गैरी जोखिम भी उठाए धैर्य भी रखे जुनून…