यह पावन पन्द्रह अगस्त है |15 August par Geet
यह पावन पन्द्रह अगस्त है
( Yah paavan 15 August hai )
वह भारत जिसके माथे पर,जड़े हिम शिखर बनकर तारे !
और सदा से ही सागर ने, आकर जिसके पाॅंव पखारे !!१
जिसके पर्वत देव भूमि हैं, उपवन जैसे हैं जिसके वन
शस्य श्यामला जिसकी भूमि, तृप्त करें गंगा के धारे !!२
कपटऔर छल आघातों के,कुटिल क्रूर विश्वास घातों के,
शस्त्रों से आहत कर उसको, बन्दी रखे रहे हत्यारे !!३
तब भारत को मुक्ति दिलाने, स्वतंत्रता का मान जगाने
उठ शत शत भारति सुत आये,संघर्षों के बन उजियारे !!४
सत्य, प्रेम, मानवता के स्वर, जब वे बहरे सुन ना पाये
लड़ कर बलि दी,और गलों में,हॅंसकर फाॅंसी फंदे धारे !!५
उनमें एक बना ले आया, एक विशाल हिन्द की सेना
सभी देश जन भी जागृत थे , करने तत्पर वारे न्यारे !!६
हो निरुपाय आततायी वे, लगे त्राण के मार्ग खोजने
और अन्तत: अपने बिल में , वापस पहुॅंच गये बेचारे !!७
इस पावन पन्द्रह अगस्त में, जब भारत ने नयन उघारे
हमने पाया था आजादी, खड़ी हुई थी ऑंगन द्वारे !!८
उसका भव्य तिरंगा आनन, लगा हमें प्राणों से प्यारा
जाने कबसेआतुर होकर,जनमन जिसकी बाट निहारे !!९
सजल नयन घायल हाथों से,उसका स्वागत कर लेआये
देखा उसे विकल थे जिसको, पाने आतुर नयन हमारे !!१०
विव्हलहो संकल्प लेलिया,अब यह भारत कीसब कुछहै
इसे प्राण से अधिक मान कर,अपने साथ रखेंगे सारे !!११
इस को मन से प्यार करेंगे , और सदा ही यह चाहेंगे
हर दिन ही श्रंगारित होकर,यह अपना सौंदर्य निखारे !!१२
यह पावन पन्द्रह अगस्त है,प्रथम मिलन स्मृतिका रूपक,
पर्व और उत्सव का दिन बन , सदा रहेगा साथ हमारे !!१३
सबसे बड़ा पर्व उत्सव यह,यही ईद,दीवाली, क्रिसमस
आओ सब भारतवासी मिल,भारति कीआरती उतारें !!१४
जबतक यह“आकाश”रखेगा,जीवितअपने चन्दा सूरज
जगमग होंगे इसी विजय दिन,भारत घर ऑंगन गलियारे !!१५
कवि : मनोहर चौबे “आकाश”
19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .
482 001
( मध्य प्रदेश )
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