Kaal Kare so Aaj Kar
Kaal Kare so Aaj Kar

काल करे सो आज कर

( Kaal kare so aaj kar )

 

कर लो जो भी काम जरूरी, हौसलों की परवाज भर।
कल का क्या भरोसा प्यारे, काल करे सो आज कर।
काल करे सो आज कर

व्योम तलक तुम छा जाओ, जीत का परचम लहराओ।
हौसलों की भरो उड़ाने, दुनिया को करतब दिखलाओ।
दिल में जगह बनाओ तुम, धड़कनों का सुंदर साज धर।
समय बदलते देर न लगती, जो भी करना आज कर।
काल करे सो आज कर

मंजिलों को बढ़ने वाले, नर कीर्तिमान नित गढ़ने वाले।
बुलंदियों पर चढ़ने वाले, नित कला कौशल जड़ने वाले।
कर दिखलाओ कर्म धरा पर, जोश जज्बों पे नाज कर।
हर्ष खुशी आनंद भरकर, दिल की दुनिया पर राज कर।
काल करे सो आज कर

रोज बुन ले ख्वाब नित नये, सपनों को सच करता जा।
धीरज धर कर हौसलों से, राही मंजिल को बढ़ता जा।
रच ले कोई गीत सुरीला, चुन लें धुन प्यारे साज पर।
शब्द सुधा बरसाता जा नर, खुद पर तू भी नाज कर।
काल करे सो आज कर

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

जब सीने में तूफान दबाना पड़ता है | Jab Seene mein

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here