चुलबुली की यादें
( Chulbuli ki yaadein )
ये गर्म सर्द हवाओ की साजिश है कि बिखर जाउँ मैं
तेरे शहर आऊं और तेरी बाहों में सिमट जाउँ मैं
ये चाय का शौक कब का भुला दिया मैं चुल्बुली
हो जाये तू मेरी बाहों में तेरे होंठो से लग जाऊं मैं
तुम कामों में मशरूफ़ रहती हो दिनभर, शिकायत नही
खुद को मैं कुछ ऐसा बनाऊं की बेकरार तुझको कर जाऊं मैं
पसन्द गर हो तुझको किस्से कहानी सुनना
तो बोल किसी दिन तेरे शहर के अखबार की खबर बन जाऊं मैं
तू खुश रहे खिलखिलाती रहे कुछ ऐसा वास्ता हो जिससे
तेरे दिल का चिराग बन कहीं जल जाऊं मैं
गर तू मेरी हो मेरी बनकर रहो
तो ऐसे ही हर पल गीत गजल गुनगुनाऊँ मैं
चुल्बुली तलब तेरे दीदार की हर पल सताती है
तू गर बोले तो तेरे शहर आ जाउँ मैं
दूँगा नही दर्द इस बात का वादा रहा
न तोड़ेंगे भरोसा कुछ ऐसा कर जाऊंगा मैं
ये गर्म शरद हवाओ की साजिश है कि बिखर जाउँ मैं
तेरे शहर आऊं और तेरी बाहों में सिमट जाउँ मैं