Divya anubhuti

दिव्य अनुभूति | Divya anubhuti | Chhand

दिव्य अनुभूति

( Divya anubhuti )

मनहरण घनाक्षरी

 

साधना आराधना से,
दिव्य अनुभूति पाई।
त्याग तप ध्यान योग,
नित्य किया कीजिए‌।

 

हरि नाम सुमिरन,
जपो नित अविराम।
राम राम राम राम,
भज लिया कीजिए।

 

मंदिर में दीप कोई,
जलाता ले भक्तिभाव।
रोशन यह जग सारा,
ध्यान किया कीजिए।

 

घट घट वासी प्रभु,
रोम-रोम समाए हैं।
दिव्य अनुभूति आप,
ह्रदय से कीजिए।

 ?

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *