सावन सुहाना आया
सावन सुहाना आया

सावन सुहाना आया | Chhand

( Sawan suhana aya )

(  मनहरण घनाक्षरी छंद )

 

सावन सुहाना आया,
आई रुत सुहानी रे।
बरसो बरसो मेघा,
बरसाओ पानी रे।

 

बदरा गगन छाए,
काले काले मेघा आये।
मोर पपीहा कोयल,
झूमे नाचे गाए रे।

 

रिमझिम रिमझिम,
बरखा बहार आई।
मौसम सुहाना आया,
हरियाली छाई रे।

 

मस्त चली पुरवाई,
रुत ने ली अंगड़ाई।
तन मन खुशियों की,
उमंग जगाई रे।

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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