न खुशियां मिली | Ghazal na khushiyan mili
न खुशियां मिली
( Na khushiyan mili )
न खुशियां मिली आस पास में
कटे रोज़ दिन अब उदास में
बुझा प्यास रब भेज कोई अब
मुहब्बत कि जिस डूबा प्यास में
दिखाते वही दुश्मनी मुझे
देखे बैठे पास पास में
न पीने कि वो दे गया क़सम
भरा जाम जब से गिलास में
मिली मंजिले वो नहीं कभी
के दिल ख़ूब रहता हिरास में
कि औक़ात अच्छाई से होती
मत औक़ात ढूँढ़ो लिबास में
ख़ुदा दिल कि कर आरजू पूरी
भटक जिस रहा आज़म आस में