Ramayan par kavita
Ramayan par kavita

रामायण संस्कार सिखाती

( Ramayan sanskar sikhati )

 

 

हमें निज धर्म पर चलना सिखाती रोज रामायण
जन मन प्रेम और सद्भाव जगाती रोज रामायण

 

जप लो राम नाम माला राम में लीन हो जाओ
घट में बसा लो राम को अंतर विलीन हो जाओ

 

मान मर्यादा से पलना पुनीत संस्कार रामायण
रक्षक सत्य धर्म की है जगत आधार रामायण

 

भरत सा भाई का प्रेम भक्त हनुमान मिला प्यारा
लक्ष्मण शेषनाग अवतार वन में साथ दिया सारा

 

जनक दुलारी सीता जी मर्यादा पुरुषोत्तम राम
रघुकुल कुलदीपक स्वामी सुख आनंद के धाम

 

अहंकार का अंत सदा सत्यम शिवम जय रामायण
शील आदर्श गुण दाता जग करे अभय रामायण

 

ऋषि मुनि साधु संत पूजते दीनों के प्रतिपाल को
कौशल्या के राज दुलारे राम रघुकुल के भाल को

 

हमें श्रीराम के दर्शन कराती है रोज रामायण
मन में श्रद्धा और प्रेम जगाती रोज रामायण

 

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कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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