Haritalika teej kavita

हरितालिका तीज | Haritalika Teej Kavita

हरितालिका तीज

( Haritaalika teej )

( 2 )

पावन पर्व~
हरितालिका तीज
छाया है हर्ष

कर श्रृंगार~
शिव पूजन को है
गौरी तैयार

बिंदी चमके~
पायल छम-छम
चूड़ी खनके

हाथ छूटे ना~
निर्जला निराहार
रिश्ता टूटे ना

शुद्ध भावना~
अमर हो सुहाग
यही कामना

निर्मल जैन ‘नीर’
ऋषभदेव/राजस्थान

( 1 )

भाद्रपद तृतीया तिथि हरितालिका तीज मनाए।
सौभाग्य कामना ले नारियां गौरी सिंदूर चढ़ाएं।

मन से करे उपवास व्रत नारी पूजा करे दिन-रात।
खुशियों से झोली भरती गौरी बिगड़ी बनाती बात।

कर सोलह सिंगार गौरी मैया चली शिव के द्वार।
गौरी पूजन करती महिलाएं व्रत करती निराहार।

कुंवारी कन्याएं करती व्रत मनोवांछित वर मिले।
जीवन की बगिया महकती आनंद के पुष्प खिले।

यश वैभव सौभाग्य मिलता मां गौरी के दरबार।
हरियाली से हरी भरी धरा कुदरत करती श्रंगार।

नभ घटाएं घिर आती नदी तालाब सब भर जाती।
झरने कल कल करते मोर नाचते नदियां गाती।

रमणीक पर्वतों की वादियां भादो मास हर्षाता है‌
मां गौरी देती आशीष तीज त्योहार सुख लाता है।

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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