Badla
Badla

बदला

( Badla )

फेसबुक पर एक पड़ी हुई पोस्ट देख कर आश्चर्य हुआ सामान्य जाति की मां के बने हुए हाथ के बने हुए भोजन को अन्य जात के बच्चों ने, ग्रहण करने से अस्वीकार कर दिया l

इसी प्रकार अन्य जात की मां के द्वारा बनाया हुआ भोजन सवर्ण जाति के बच्चों ने ग्रहण करने से अस्वीकार कियाl जहां तक याद है हम सब मां का बनाया भोजन स्कूल जब ले जाते थे l तो सब हिल मिलकर साथ में बैठ कर खाते थे l

यह तो हम भी ना जानते थे l कि हमने किसकी मां का बने हाथ का अचार खींचा l और किसकी मां के हाथ की बने पराठे चटकारे लगाकर खाए l

शायद यह सब घटनाएं भारतवर्ष के सभी बच्चों के साथ घटी सभी ने अपने अपने स्कूल में डब्बे में खाने को खुशी खुशी बांटकर खाया निषाद राज से राम ने मित्रता की निभाई l

श्री कृष्ण ने सुदामा से मित्रता जाति देख कर नहीं की थी l और निभाई भी l, ईश्वर ने जीव जंतु बनाएं और एक बुद्धिमान मानव बना दिया पर लगता हैl जीव जंतु अपने आप में सुखी हैl और जितनी आवश्यकता होती है उतना ही लेते हैं l

अगर ऐसा ना होता तो जंगल नष्ट हो गए होते जिसकी जितनी भूख उसने उतना लिया बाकी शेष दूसरों को छोड़ दियाl एक सांप ने चूहे के बच्चे को निगल लिया l

लेकिन चुहिया ने उसकी पूछ को नोच् नोच कर पटका, और किसी तरह से उसने अपने बच्चे को जो सांप के मुंह में था बचा लिया l

यह बदला नहीं था बल्कि अपने बच्चे को बचाने का प्रयास था l मां सर्वत्र पूज्यते जननी जन्मभूमि जानवी च जनार्दन जनक पंचमेश जकारा पंच दुर्लभा l

यत्र पूज्यते नारी रमंते तत्र देवता पर लगता है l धीरे धीरे मानव ने मां का ही मजाक बनाना शुरू कर दिया, कुछ बुद्धिजीवी इतने अधिक बुद्धिजीवी हो गए हैंl इसी विषय पर मंत्रणा करने बैठ गए हैं l एक दूसरे पर छींटाकशी कर स्वयं सुखी हो रहे हैं l

इस तरह के विद्रोही मानसिकता वाले समूह को सेना में भेज देना चाहिए ताकि मन में भरी हुई सारी विद्रूपता एक बार में ही समाप्त हो जायेl बच्चों में जहर घोल कर क्या प्राप्त करना चाहते हैंl

राजनीतिक मानसिकता की छोटी सोच वाले इंसानियत को ताक पर रखकर अपनी स्वार्थ सिद्धि सिद्ध करते हैंl, परिणाम बताने की जरूरत नहीं है पाठक स्वयं समझदार हैl

क्षण भर को सोचे यदि डॉक्टर ऐसा सोच ले तोl नवीन पीढ़ी में जहर घोलने का काम यह अधिक पढ़े लिखे लोग कर रहे हैंl, विद्रोही मानसिकता देश रक्षकों से निवेदन है कि बच्चों की किलकारी छीनने का प्रयास ना करेंl

उदाहरण स्वरूप एक शेरनी ने बंदरिया को मारा अपनी क्षुधा शांत करने के लिए परंतु उसके नवजात शिशु को उसी से चिपका रोता देखकर रात भर वह उसे खुद चिपकाए रही l शेरनी उस मृत बंदरिया को खाते भी ना बनाl

मांसाहारी जीव होने के बावजूद भी एक दूध मुहे बच्चे को देखकर रात भर उसको , जागकर खिलाती रही और अंतर वेदना से दुखी होती रहीl धन्य है वह जानवर है और हम मानव नई पीढ़ी को कहां ले जाना चाहते हैंl

❣️

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

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