खिल रहे है गुलाब पानी में | Gulab shayari
खिल रहे है गुलाब पानी में !
( Khil rahe hai gulab pani mein )
खिल रहे है गुलाब पानी में!
था पर वो आफ़ताब पानी में
बारिशों ने सितम ऐसे ढाये
घर बहे बेहिसाब पानी में
वो रोए है किसके लिये इतना
ख़ूब भीगा नक़ाब पानी में
प्यार का शब्द मैं पढ़ूं कैसे
भीगी है वो क़िताब पानी में
प्यास कैसे बुझेगी नफ़रत की
मिल गयी है शराब पानी मे
बाढ़ ऐसी आयी बर्बादी की
बह गये है सब ख़्वाब पानी में
फ़ोन कैसे करुं उसे “आज़म”
हो गया है खराब पानी में
️
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
यह भी पढ़ें :