तमाशा ऐसा भी हमने सरे-बाज़ार देखा है
तमाशा ऐसा भी हमने सरे-बाज़ार देखा है

तमाशा ऐसा भी हमने सरे-बाज़ार देखा है

( Tamsssha Aisa Bhi Hamne Sare Bazar Dekha Hai )

 

तमाशा ऐसा भी हमने सरे-बाज़ार देखा है।।
दिखावे के सभी रिश्ते जताते प्यार देखा है।।

 

तभी तक पूछते जग में है पैसा गांठ में जब तक।
हुई जब जेब खाली तो अलग व्यवहार देखा है।।

 

सदा ही झांकते दिल में नहीं हम देखते सूरत।
निशाना सादगी का ही ज़िगर के पार देखा है।।

 

सदा खामोश बाहर से नज़र आते है जो हमको।
सुलगता उनके सीने में सदा अंगार देखा है।।

 

सभी से वैर रखता जो लगे खुशहाल वो बेशक।
मगर दिल में सदा उसको यहां बेज़ार देखा है।।

 

झुकाते हैं तभी सर को कोई ग़र काम पङ जाए।
खुदा की बंदगी को भी यहां व्यापार देखा है।।

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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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