कोहिनूर ( हिंदी फिल्म स्क्रिप्ट )

कोहिनूर ( हिंदी फिल्म स्क्रिप्ट ) | Kohinoor Hindi film script

कोहिनूर ( हिंदी फिल्म स्क्रिप्ट )

( Kohinoor : Hindi film script )

 

एक समय था ,जब भारत मे अंग्रेजों का राज था | हमारे भारत के लोग डरे सहमे रहते थे | मध्य -प्रदेश का एक शहर “जबलपुर” मे भी गोरे तैनात थे | वहीं एक जौहरी परिवार था | जौहरी जी ब्रिटिश सरकार के लिए ऑफिसर थे |

वहीं पडोस के मल्होत्रा जी,जो जौहरी जी के खास मित्र और गोरों के रिटायर ऑफिसर थे | घर पर ही छोटा -मोटा काम करते रहते | जौहरी जी के बेटे की की शादी कुछ दिन पहले हुई ,बहू प्रेगनेंट थी | वहीं मल्होत्रा जी के बेटे की शादी होने लगी |

अब दोनो परिवार एक होने लगे | पहले तो घर का कोई भी फैसला हमारे बड़े -बुजुर्ग ही किया करते थे | तभी जौहरी जी ने मल्होत्रा जी से कहा , अगर मेरा पोता और तुम्हारी पोती हुई तो उन दोनो की शादी भी इसी तरह धूम – धाम से करवाएंगे |

रिस्ता पक्का हो गया | शादी मे सभी आए , काफी गोरे भी आए , मल्होत्रा जी रिटायर्ड ऑफिसर थे | मंडप पर नव – युगल , शादी की रश्म चल रही थी | शादी संम्पन्न हुई , दूसरे दिन घर पर पर कार्यक्रम सम्पन्न हुए |

और कुछ दिन मे इधर जौहरी की बहू ने सुन्दर पुत्र को जन्म दिया |जौहरी जी के घर खुशियां आ गई थी | कुछ दिन बाद भव्य रिसेप्सन था | वहीं जौहरी जी के ऑफिस मे एक नए गोरे प्रमुख अधिकारी की भरती हुई | बह नव-जवान था |

उसी ऑफिसर को अवकाश पत्रिका और निमंत्रण कार्ड देते हुए आने को कहा | घर आ कर तैयारी कर समारोह चालू हुआ | बहुत लोग ,बडे ऑफिसर ,रिस्तेदार शामिल हुए ,की अचानक मल्होत्रा की बहू चक्कर खा कर गिर गई |

सब भागे ,सब के साथ नया गोरा भी आ गया | गोरे ने मल्होत्रा की बहू को देखा,देखता ही रह गया, मोहित हो गया, शोर सुन कर गोरे ने अपनी गाडी मे ही उसे बैध के पास भिजवाया , बैध ने बताया की वो माँ बनने वाली है , सब बहुत खुश थे, की अचानक एक आदमी आया और घबरा-कर कुछ कहा ( मूक-भाषा ) सब भारी टेंसन मे हो गए |

अगले दिन जौहरी जी ऑफिस पहुँचे ,डरे -सहमे से,तभी गोरे ने बुला कर बात की (मूक – भांषा ) वो घबरा गए | गोरा वाहां से चला गया |

जौहरी जी का दिमाग काम नहीं कर रहा था , उधर वो गोरा अपनी फौज लेकर बस्ती पहुंच गया , मल्होत्रा की बहू को जबरदस्ती उठा लिआ , बचाते हुए मल्होत्रा के बेटे को गोली मार दी , जौहरी के बेटे को टक्कर मार कर मार डाला , ये सब कुछ देख कर मल्होत्रा जी की अटैक से मौत हो गई कई लोग मरे गए ,सब तहस – नहस कर के मल्होत्रा की बहू से जबरन शादी कर चला गया जौहरी के बेटे की सांस चल रही थी तो उसे बचा लिय़ा गया ,बहू ने भी अपने गर्भ की बात छिपा कर रखी शादी के बाद बहू को नौकरानी से बत्तर रखा गया |

ब्रिटिश सरकार को उस गोरे की हरकत पता चली,तो उसे वापस बुलाने के आदेश आए | गोरा जाने लगा तो जौहरी के बेटे ने हमला किया ,कुछ को मारा,पर गोरे ज्यादा थे,उसे मार दिया गया ,गला काट दिया , फिर गोरा ब्रिटिश वापस पहुँच कर वहीं रहने लगा , इधर जौहरी जी ने नन्हे बालक का नाम सुदीश रखा |

अब नन्हा बालक अपने दादा (जौहरी )और माँ के साथ खेल कर ,रह कर ,पढ़ – लिख कर बड़ा होने लगा | कोलेज की पढाई ,मौज -मस्ती के साथ दादा जौहरी की काहानियां सुन कर बडा हो रहा था | एक दिन जौहरी जी काहानी सुना रहे थे, डायमंड कोहिनूर की,अचानक भाबुक हो गए,और मित्र मल्होत्रा से किया वादा याद आ गया,मल्होत्रा की बहू के बारे मे सोच कर आखें भर आईं |

सुदीश ने आँसू पोंछ कर बजह पूँछी ,तो उन्होने कहा,की हमारा कोहिनूर ब्रिटिश सरकार के पास है ,जो तुम्हे किसी भी तरह वहां से लाना होगा | जब भी सुदीश को कहानी सुनाते ,बस यही कहते | सुदीश ने कोलेज टाइम मे खूब लडकियां पटाई ,यार- दोस्त ,भाई- बहन बनाए ,यारी -दोस्ती निभाई |आजादी की लडाई लडी गई, अब भारत आजाद हो गया गोरे वापस जा चुके थे अब सुदीश भी बालिग ( समझदार ) हो गया था |

तभी कोलेज मे एक कार्यक्रम के दौरान एक अनजान लड़की से आँखे चार हो गई ,बात -चीत कर,कुछ दिन उसको साथ मे घुमाया – फिराया |एक दिन जौहरी जी ने देख लिया,पूँछा तो बताया की ब्रिटिश से घूमने इन्डिया आई है, जौहरी को याद आया की बहुत से पहचान वाले लोग ब्रिटिश मे गुलाम है |

कुछ दिन बाद वो जाने लगी,उसने सुदीश को साथ मे जाने को कहा , जौहरी जी अकेला भेजने को कतराते रहे , पर सुदीश ने उन्हे मना लिया , पर जौहरी जी ने कोहिनूर की याद दिला कर,बहुत कुछ समझा कर, गुलाम दोस्तों के बारे मे , और कुछ ( मूक भांषा ) मे राज बाताए | और अनुमति दे दी | दोनो जाते हैं , उधर पहुँच कर सुदीश लड़की से बिछड कर भटक जाता है ,काफी देर बाद कुछ लोग मिले , जो जौहरी के पहचान के थे , सुदीश का परिचय पूँछा , जौहरी का नाम सुन कर अपने साथ ले गये |और अपने घर मे पनाह दी |

अगले दिन कम पर जाने से पहले सुदीश को समझाया ,और चले गए | सुदीश भी मस्त तैयार हो,सूट – बूट मे घूमने निकल पडा |सब कुछ देखते हुए आगे बढा सुदीश मनमौजी था , की तभी अचानक एक बड़ी सी गाडी रूकी,कुछ नौकर – चाकर भीड हटा रहे थे ,तभी गाडी का गेट खुला,और एक सुन्दर लड़की “राजकुमारी ” नीचे उतरी |

सुदीश तो देखता रह गया ,उन नौकरों मे से एक नौकर सुदीश को देखे ही जा रहा था | यहाँ ,,,,उस लड़की को देख कर सुदीश ने सपना देखना शुरू किया ,सपने में ही धांसू सांग शुरू हुआ,सपना टूटा , राजकुमारी जा चुकी थी |

सुदीश ने नजरें घुमाइं , पर नहीं दिखी ,खैर आगे बढा , वहीं एक जगह राजकुमारी के पोस्टर लगे थे, सुदीश की नजर पड़ी , नाम देखा तो राजकुमारी सुमैरा लिखा था ,सुदीश ने एक पोस्टर निकाला,और उसे देखता -चूमता हुआ , मुस्कुराते हुए आगे बढ रहा था तभी उस पलट कर देखने बाले नौकर से टकरा गया |

नौकर ने पोस्टर छीन कर परिचय पूँछा ,जौहरी का नाम सुन कर सुदीश के सर पर हांथ फेरा ,और अपना नाम सुलेमान बताया | सुदीश ने राजकुमारी के बारे मे पूँछा , तो सुलेमान ने सारी सच्चाई कह डाली ( मूक भांषा मे ) किस तरह , किसने , क्या किया , क्यो किया , और मल्होत्रा की बहू ब्रिटिश किस तरह से आई ,और कैसा ब्योहार किया जाता है गोरे और राजकुमारी द्वारा |

ये सब कुछ जान कर सुदीश का हिंदुस्तानी खून खौल उठा,और उसी बक्त सुमैरा को हांसिल कर अपनों को आजाद कराने की सपथ ली , साथ ही सुदीश को खबरदार ( सतर्क )किया |

एक दिन सुदीश ब्रिटिश के एक मॉल मे कुछ शॉपिंग कर रहा था , तभी सामने एक बड़े होटेल मे सुमैरा की गाडी रूकी,सुदीश भी पीछे हो लिया,अंदर जा कर देखा, तो राजकुमारी के लिए स्पेशल पूल,स्पेशल सुबिधाएं ,ये देख सुदीश अंदर जाने लगा, तो उसे रोक दिए गया, और होटेल के बाहर कर दिया,अब सुदीश ने इडियन तकनीकी(जुगाड ) के तहत होटेल के अंदर सीधा स्विम-पूल पहुँचा , तब तक सुमैरा अपनी सहेलियों के साथ स्विमिंग कर रही थी |

मौका देख कर सुदीश ने कन्हैया की तरह सब के सरे कपडे छिपा कर सामने आया | फिर सुमैरा से मिलने का वादा कर कपडे दे वापस आ गया | अगले दिन सुदीश -सुमैरा मॉल मे मिले,कुछ बातें हुई ,बिल पे राजकुमारी करती | अब अक्सर मिलना-जुलन , घुमना , कॉफी , नाच – गाना होते -होते अब प्यार हो गया |

एक दिन सुमैरा ने सुदीश के बारे मे गोरे से बात की, सुदीश को खाने पर बुलाया गया, पर गोरा कहाँ मानने बाला था , पिता के ना कहने के बाद सुमैरा का प्यार और भी बढता गया उधर सुलेमान ने सुमैरा की माँ को सुदीश के बारे मे बताया,वो भी खुश हो कर दोनो को मिलाने मे सहयोग करने लगी ,रोक लगाने के बाद भी किसी तरह दोनो मिलते रहे |

फिर एक दिन सुदीश ने सुमैरा को सारी हकीकत बता ही रहा था,की तभी कुछ गोरों ने दोनो को पकड कर सुमैरा के पिता के पास ले गए,पिता ने सुमैरा को कमरे मे बंद कर ,सुदीश को मार – पीट कर,इंडियन होने पर भला – बुरा ,कहा,और दोबारा दिखाई न देने को कह कर बाहर निकाल फेंका |

वहीं अंदर सुमैरा की माँ ने ,बांकी की हकीकत बताई ,उस दिन सुमैरा ने अपनी माँ को गले लगाया | इधर सुदीश घर आ कर ट्रीटमेंट लिया,और जहाँ रुका था (पहचान बाले ने)उन्होने जौहरी जी से फोन पर बात की,बताया की सुदीश को गोरे की बेटी सुमैरा से प्यार हो गया है , उसे साथ लेकर ही आएगा,हम सब हैं ,जौहरी जी ने भी सतर्क रहने को कह कर फोन रखा |

कुछ दिन मे सुदीश ठीक हुआ,और सरे पहचान वाले दोस्तों से सलाह – मशवरा किया,सारी लडाई की रुप – रेखा बनाई ,सारे दोस्त एक हो गए | और तभी पता चला की सुमैरा के रिस्ते के लिए कुछ लोग आए थे |

उसी वक्त सुदीश ,अपने साथियों के साथ सुमैरा के घर पहुँच कर मार – पीट कर , गोली,तलवार , भाले ,एक्सन फाइट , से भयानक लडाई हुई | सब कुछ खतम होता देख गोरे ने अपनी पिस्तौल निकाल कर सुदीश पर तान दी, और इंडिया को बोल कर गाली दी,की तभी पीछे से सुमैरा की माँ ने गमला दे मारा, और बोली, मैने इस दरिन्दे को कभी अपना पती नहीं माना,और सुदीश को कहा बेटा,खत्म कर दो इसे |

फिर सुदीश ने खंज्जर उठा कर गोरे के शरीर (बदन) मे “” भारत माता की जय “” लिख डाला ,फिर सभी बंधको को आजाद करा,सुमैरा और माँ को ले कर भारत वापस लौटा | इधर दादा जौहरी जी सब का इंतजार कर रहे थे ,सभी आए,तो जौहरी जी ने सब को गले लगा लिया , सुदीश को गले लगाते हुए,ऐ आँसू आ गए |

तब सुदीश बोला,माफ कीजिए दादा जी,मै आपका कोहिनूर नहीं ला पाया ,तभी जौहरी जी सुमैरा की ओर देखते हुए कहा ,सुदीश बेटा ,यही है हमारा असली कोहिनूर ,मैं इसी कोहिनूर की बात कर रहा था | यही हमारा कोहिनूर ,और अब से तुम्हारी जीवन संगनी है |

सब खुश हुए ,मल्होत्रा जी को याद किया, दोनो की शादी धूम – धाम से की गई ……..और ……….हैप्पी एंड्डिंग

* समाप्त *

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| फिल्म — कोहिनूर ( kohinoor). |
| लेखक —सुदीश कुमार सोनी |
| गीत लेखक — सुदीश कुमार सोनी |
| F.W.A.सदस्य संख्या — 25830. |
रजि.नंबर–398841
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लेखक:  सुदीश भारतवासी

मो .9770740776
Email: sudeesh.soni@gmail.com

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