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ऐ चीन | Kavita Ae China

ऐ चीन

( Ae China ) 

 

ऐ! चीन तेरा जीना हराम कर देंगे,
तेरा सारा वार हम नाकाम कर देंगे।
तवांग में अभी तूने जो की थी घुसपैठ,
फिर किया हिमाकत तो ढेर कर देंगे।

 

राफेल, सुखोई भी हैं इंतजार में,
हम जिनपिंग की नाक में दम कर देंगे।
गलवान में ऐ! ड्रैगन तू पहले की गलती,
विस्तारवादी नीति का ईलाज कर देंगे।

 

दोहरा चरित्र तेरा जानती है दुनिया,
प्यार से न समझा भूगोल बदल देंगे।
ड्रोन,फाइटर,एयरक्राफ़्ट तूने खड़ा किया,
उकसाया जो इस बार तिरंगा गाड़ देंगे।

 

पंचशील की बात हम तुमसे करते आए,
युद्ध हुआ तो तेरी मिट्टी लाल कर देंगे।
बासठवाला भारत बहुत बदल चुका सुन,
तेरी मटर जैसी आँख, राई कर देंगे।

 

हथियारों के बल जंग जीती नहीं जाती,
तेरे एटमबम का मुँह तेरी तरफ कर देंगे।
धरती, अम्बर और समंदर होंगे गवाह,
बन मत सिकंदर फन कुचल के रख देंगें।

 

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )
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