तथागत बुद्ध
( Tathagat buddha )
तुम्ही तथागत, बुद्ध तुम्हीं हो
तर्कशील प्रबुद्ध तुम्हीं हो।
करुणा दया का भाव जगाया
तुम्हीं तर्क विज्ञान सिखाया
आत्मज्ञान की ज्योति जलाकर
अंधकार को दूर भगाया
ज्योति पुंज कहलाने वाले
पुरुष आलोकित सिद्ध तुम्हीं हो।
मानवता का सीख सिखाया
पंचशील का पाठ पढ़ाया
सत्य से बढ़कर और नहीं कुछ
सिद्ध मंत्र है कर्म बताया
लालच इच्छा मोह त्यागने
वाले मानव सिद्ध तुम्हीं हो।
दुख का यह संसार बताया
सबको सुख का मार्ग दिखाया
जनम मरण से स्वर्ग नरक क
सही गलत का ज्ञान कराया,
बोधिसत्व करुणा के सागर
सिद्धार्थ गौतमी बुद्ध तुम्हीं हो।
बन प्रकृति धम्म के अन्वेषक
बनके भारत का कुल दीपक
साक्यमुनि परमारथ ज्ञानी
सबमें समता के संस्थापक,
विश्व गुरु कहलाने वाले
दुनिया में प्रसिद्ध तुम्हीं हो।
रचनाकार –रामबृक्ष बहादुरपुरी