
मिलने की आस
( Milne ki aas )
मिलना हो तुझसे ऐसी तारीख मुकर्रर हो जाए
मैं जब भी आऊं तेरा बनकर तू भी मेरी हो जाए
न रहे दूरियां एक दूजे में कुछ ऐसा वो पल हो
लग जाउँ गले से तेरे मैं तू मेरे सीने से लग जाए
ये ख्वाब भी कितने प्यारे हैं सबकुछ इनपर हम वारे हैं
काश कहीं ये ख्वाब हमारे संग तेरे सच हो जाए
रहूँ मैं तुझसे दूर मगर तू पास हमे फिर भी पाएगी
हम दोनों ऐसे बंध जाएंगे ,एकदूजे के फिर हो जाए
न जाने कैसे रिश्ता बनता जा रहा है दूरी का
रात बीत रही करवट में ,आंख खुले भोर हो जाए
तू जो नजर में रहती है तो दिल खुश मेरा रहता है
मुनासिब नही गैर की होकर तू मेरे नसीब में हो जाए
दिल भरता नही है तेरे दीदार से इस कदर दिल लगा है
काश हो ऐसा गर मैं तड़पु तो तू भी बेकरार हो जाए
मिलना हो तुझसे ऐसी तारीख मुकर्रर हो जाए
मैं जब भी आऊं तेरा बनकर तू भी मेरी हो जाए