स्वाध्याय
( Svadhyaya )
स्वाध्याय जो नित्य करें, मनन करें सुविचार।
चित उज्जवल पावन बने, बहे नेह रसधार।
उर उजियारा हो सखे, जगे ज्ञान यशदीप।
महके चमन जीवन का, मधुर बजे संगीत।
पठन अरू पाठन करे, मनन करे दिन-रात।
बुध्दिबल यश वैभव बढ़े, मिले सुधीजन साथ।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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