Kavita Maun Nimantran
Kavita Maun Nimantran

मौन निमंत्रण 

( Maun nimantran ) 

 

मुझे क्या पता!

 वह सामने था लिए

कुछ भाव भरा

संदेश खड़ा,

किंतु मैं पूछ पड़ा

तुम कौन यहां ?

क्या कर रहा है? भला,

मुझसे क्या चाहते हो?

या मुझे बताना चाहते हो!

कुछ अंतर्मन में

लिए भाव भरा।

वह मौन था

पर कौन था

यह  था न पता

पर अचानक मैं

खुद ही चल उधर पड़ा।

जिधर वह बढ़ता गया

फिर समझ आया कि

वह मौन संदेश था

मौत का प्रवेश था

यह कब आता है

बता कर

बिन बोले

चल पड़ता है साथ लिए

मौन संदेश को हाथ लिए।

 

 

( अम्बेडकरनगर )

यह भी पढ़ें :-

त्याग निद्रा,जाग मुसाफिर | Poem Jaag Musafir

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here