फागुन पर कविता
( Phagun Par Kavita )
देखो फागुन आया है छटा में रंग छाया है
खिली पलाश पर योवन आया है।
गीत बसंत का हर दिल ने गाया है।
सेमल, टेसू ने वन उपवन सजाया है
बोर लगे आम ने तोरण द्वार बनाया है।
लहलहाती फसलो ने फागुन को बुलाया है।
बेर मकोई की खुशबू संग मधु मास आया है।
अवीर गुलाल उड़े चहु ओर
अनगिनत यादें लाया है।
साजन से मिलने ओ सखी
मन मेरा बोराया है।
गुजिया, मठरी, पपड़ी ,खुर्मी
माँ ने खूब बनाया है।
छुनछुन छुनछुन पायल बजती है।
दिल की धड़कन अब ना रुकती है।
बेरी पिया को , संदेशा भिजवाया है।
देखो फागुन आया है देखो फागुन आया है।