रौशनी | Roshani
रौशनी
( Roshani )
आप आए अंजुमन में साथ आई रौशनी
देखिए कितने रुखों पे मुस्कराई रौशनी।
बज़्म में तक़रीर बस थी झूठ पर ही चल रही
एक सच मैने कहा तो खिलखिलाई रौशनी।
बाद मुद्दत देखके सरकार हमको हंस दिये
यूं लगा हरसू फ़िज़ा में आज छाई रौशनी।
देख कर इंसाफ़ मिलते आज इक मज़लूम को
यक ब यक कितनी खुशी है साथ लाई रौशनी।
भूलकर रंजिश रक़ीबों से गले जब मैं मिली
कर रही थी हर क़दम पे रहनुमाई रौशनी।
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )