तयशुदा कागज़ों पर बयानी हुई | Ghazal Lines in Hindi
तयशुदा कागज़ों पर बयानी हुई
( Tayashuda kagazon par bayani hui )
तयशुदा कागज़ों पर बयानी हुई
हम ग़रीबों की क्या ज़िंदगानी हुई
एक पागल ने खोले थे दिल के वरक़
सारी दुनिया मगर पानी-पानी हुई
तेरी आँखों में अब भी है रंग-ए-हिना
इतनी संजीदा कैसे कहानी हुई
उनसे मिलते ही इतने दिये जल उठे
शहरे-दिल भी लगा राजधानी हुई
हम पतंगो के सारे ही पर जल गये
प्यार में किस कदर बेइमानी हुई
उसने आकर तसव्वुर में की गुफ्तगू
जब भी मुझको ग़ज़ल गुनगुनानी हुई
मेरे ख़्वाब-ओ-तखय्युल में आता रहा
उसकी कितनी बड़ी मेहरबानी हुई
ख़ूबसूरत परिंदे भी आने लगे
कितनी सुंदर यहाँ बाग़बानी हुई
मेरी आँखें तो साग़र फटी रह गयीं
बात बच्चों मे इतनी सयानी हुई