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जिन्हें हम देख मुस्काने लगे हैं | Love Ghazal Shayari

जिन्हें हम देख मुस्काने लगे हैं

( Jinhen ham dekh muskane lage hain )

 

जिन्हें हम देख मुस्काने लगे हैं,
वो तेवर हमको दिखलाने लगे हैं ।

कभी तो मेरी भी कुछ मान जाएँ
हमेशा अपनी मनवाने लगे हैं

मिली हैं जब से यह उनसे निगाहें
खुशी के गीत हम गाने लगे हैं

किये हैं आपने कुछ काम ऐसे
हमें यूँ आप अब भाने लगे हैं

ज़रा सा हँस के क्या दो बोल बोले
मुहब्बत हम से जतलाने लगे हैं

बुलाते भी नहीं हम आपको तो
हमारे सपने में आने लगे हैं

रखा है इनको तूने क्यों ऐ- रीमा
ये गम तुझको ही तो खाने लगे हैं

 

रचनाकार:रीमा पांडेय

( कोलकाता )

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