सांवरियो आंगणिये आयो | Rajasthani Bhasha Poem
सांवरियो आंगणिये आयो
( Sanwariyo aanganiye aao )
सांवरियो आंगणिये आयो, जाग्या म्हारा भाग।
सुखसागर बरसण लाग्यो,घट उमड़यो अनुराग।
मनमंदिर म जोत जागी,घट म उजाळो दमक्यो।
नैणां गिरधर री मूरत, किस्मत रो तारों चमक्यो।
मिल्यो खजानों शबदां रो, सुरसत री महर होगी।
सुरभित बणी केसर क्यारी, काया कंचन निरोगी।
फूट पड़या गीता रां सुर, कंठा सूं बरसै रसधार।
दरबारां म शान घणेरी, सांवरो दुनिया रो करतार।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )