हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी | Rashtrabhasha Hindi

हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी

( Hamari rashtrabhasha Hindi ) 

 

चाहे हों हम हिंदू मुस्लिम सिख या ईसाई,
भारत माता की संतानें हम सब हैं भाई भाई,

एक हमारी रगों में बहता खून और एक हैं हमारे रंग रूप,
चांद देता बराबर चांदनी और सूरज भी देता सबको समान धूप,

सब कुछ देने वाला है ईश्वर वो भी हममें अंतर नहीं करते हैं,
आपस में भेदभाव का जाल बुनकर तो फिर हम क्यों जलते हैं,

अलगाववादी सोचों को त्यागकर एकता की मिसाल धरो,
भारत के विकास के लिए तुम मिल जुलकर निरंतर प्रयास करो,

होंगे भले हम कहीं के भी वासी सबसे पहले हैं भारत वासी,
इसलिए हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा और हम सब हैं हिन्दी भाषी,

सीखो सीखने को सारी भाषाएं पर राष्ट्रभाषा का सम्मान करो,
घर में बोलो अपनी भाषा पर समूहों में हिन्दी वार्तालाप करो,

जाति धर्म और समुदायों की सांप्रदायिक सोच को भुला दो,
देश के नागरिक ही नहीं पूरी दुनिया को हिन्दी में बुलवा दो।।

 

रचनाकार –मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, ( छत्तीसगढ़ )

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