Makar Sankranti
Makar Sankranti

मकर संक्रांति

( Makar Sankranti )

 

मकर संक्रांति पर्व सुहाना,
स्वच्छंद रूप से पतंग उड़ाना।
उत्तरायण हुए सूर्य देवता,
इनको हृदय से अर्द्ध चढ़ाना

दान पुण्य खिचड़ी कर आना,
पावन सरिता में डुबकी लगाना।
मन में जगा कर प्रेम-भाव को,
सबको मन से तिल गुड़ खिलाना।

रंग- बिरंगी मोहक पतंगों से,
सजा ये नीला-नीला आसमान।
बच्चे ,वृद्धजन और नवयुवक की
खुशियों का है नहीं कोई अनुमान।

मकर संक्रांति की पावन बेला,
तिल -तिल बढ़ते जाते हैं दिन।
मद्धिम -मद्धिम बढ़ती है धूप,
मुस्कुराती सूर्य की चंचल किरण ।

कवयित्री: दीपिका दीप रुखमांगद
जिला बैतूल
( मध्यप्रदेश )

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