मनभावन है हिंदी | Manbhavan hai Hindi
मनभावन है हिंदी
( Manbhavan hai Hindi )
हिंदी है हमारी शान
स्वाभिमान अभिमान
गागर में सागर का भाव ये जागती है।
पावन है हिंदी
मनभावन है हिंदी
संस्कृत की बेटी ये अज्ञान हटाती है।
धूमिल ना होय छबि
नेकभाषा हिंदी मेरी
हिंग्लिश चाल चले,रूप मिटाती है।
शब्दों की खान है
दिनकर सा भान है
छंद,दोहे,व्याकरण, इसकी सुहाती है।
श्रीमती अनुराधा गर्ग ‘ दीप्ति ‘
जबलपुर ( मध्य प्रदेश )