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परिन्दे | Parinde par Kavita
ByAdmin
परिन्दे! ( Parinde ) परिन्दे ये तारों पे बैठने लगे हैं, बेचारे ये जड़ से कटने लगे हैं। काटा है जंगल इंसानों ने जब से, बिना घोंसले के ये रहने लगे हैं। तपने लगी है ये धरती हमारी, कुएँ, तालाब भी सूखने लगे हैं। उड़ते हैं दिन भर नभ में बेचारे, अपने मुकद्दर पे…

श्रीमती बसन्ती “दीपशिखा” की कविताएं | Srimati Basanti Deepshikha Poetry
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नयी सोच, नयी दिशा सोच बदलो, जग बदलेगा, नई दिशा मिल जाएगी,हर मुश्किल राह में भी उम्मीद की किरण जग जाएगी। अंधियारे में दीप जलाकर, उजियारा कर लो जीवन,निराशा की जंजीरों को तोड़, बढ़ो सफलता के सँग। हार नहीं, सीख है हर ठोकर, बस सबक समझो इसे,संघर्ष ही तो देता है, उड़ान सपनों को नए…

डॉक्टर दीपक गोस्वामी की कविताएं | Dr. Deepak Goswami Poetry
ByAdmin
बबुआ ओ रे बबुआ बबुआ ओ रे बबुआसुन, रेअच्छे हैं हमारे दिनकम से कम सुरक्षित तो हैं हमतीन दिन से दूध नहीं मिला तुझेतो क्या जिंदा हैं हमअरे पगले मजदूर का बेटाभूख से थोड़े ही मरता हैवह पत्थर ईट सरिया कामजबूत मिश्रण होता है जीवन के हर पल का सहता है घर्षणरोटी और छत के…

देश आखिर है क्या बला?
ByAdmin
देश आखिर है क्या बला? कुछ जाहिलों के लिए जमीन का टुकड़ाकुछ गोबर गणेशों के लिए उनके आकाकुछ सिरफिरों के लिए उसमें बसे लोगकुछ घाघ लोगों के लिए बिजनेस का अड्डाजिन्होंने खोद दिया गरीबों के लिए खड्डा आका घाघ लोगों से मिलकर –जाहिल और गोबर गणेशों को रोज घास चराता हैटीवी पर हर वक्त पीपली…

श्री रामवतार जी | Shri Ramvatar Ji
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श्री रामवतार जी ( Shri Ramvatar Ji ) श्री रामवतार जी,प्रेरणा पुंज आदर्श शिक्षक पर्याय ************* स्नेहिल व्यक्तित्व प्रेरक कृतित्व , शोभना शिक्षा विभाग राजस्थान । परम शिक्षक पद सेवा स्तुति, सरित प्रवाह स्काउटिंग प्रज्ञान । कर्तव्य निष्ठ अनूप नैतिक छवि, शिक्षण अधिगम नव अध्याय । श्री रामवतार जी,प्रेरणा पुंज आदर्श शिक्षक पर्याय ।।…

शान्ति दूत | Shanti doot par kavita
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शान्ति दूत ( Shanti doot ) हम है ऐसे शान्ति के दूत, माॅं भारती के सच्चे सपूत। वतन के लिए मिट जाएंगे, क्योंकि यही हमारा वजूद।। सीमा पर करते रखवाली, सेवा निष्ठा के हम पुजारी। देश भक्त निड़र व साहसी, हर परिस्थितियों के प्रहरी।। जीना- मरना इसी के संग, बहादूर एवं सैनिक…

परिन्दे | Parinde par Kavita
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परिन्दे! ( Parinde ) परिन्दे ये तारों पे बैठने लगे हैं, बेचारे ये जड़ से कटने लगे हैं। काटा है जंगल इंसानों ने जब से, बिना घोंसले के ये रहने लगे हैं। तपने लगी है ये धरती हमारी, कुएँ, तालाब भी सूखने लगे हैं। उड़ते हैं दिन भर नभ में बेचारे, अपने मुकद्दर पे…

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नयी सोच, नयी दिशा सोच बदलो, जग बदलेगा, नई दिशा मिल जाएगी,हर मुश्किल राह में भी उम्मीद की किरण जग जाएगी। अंधियारे में दीप जलाकर, उजियारा कर लो जीवन,निराशा की जंजीरों को तोड़, बढ़ो सफलता के सँग। हार नहीं, सीख है हर ठोकर, बस सबक समझो इसे,संघर्ष ही तो देता है, उड़ान सपनों को नए…

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बबुआ ओ रे बबुआ बबुआ ओ रे बबुआसुन, रेअच्छे हैं हमारे दिनकम से कम सुरक्षित तो हैं हमतीन दिन से दूध नहीं मिला तुझेतो क्या जिंदा हैं हमअरे पगले मजदूर का बेटाभूख से थोड़े ही मरता हैवह पत्थर ईट सरिया कामजबूत मिश्रण होता है जीवन के हर पल का सहता है घर्षणरोटी और छत के…

देश आखिर है क्या बला?
ByAdmin
देश आखिर है क्या बला? कुछ जाहिलों के लिए जमीन का टुकड़ाकुछ गोबर गणेशों के लिए उनके आकाकुछ सिरफिरों के लिए उसमें बसे लोगकुछ घाघ लोगों के लिए बिजनेस का अड्डाजिन्होंने खोद दिया गरीबों के लिए खड्डा आका घाघ लोगों से मिलकर –जाहिल और गोबर गणेशों को रोज घास चराता हैटीवी पर हर वक्त पीपली…

श्री रामवतार जी | Shri Ramvatar Ji
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