कर कोई बावफ़ा नहीं होता
कर कोई बावफ़ा नहीं होता
कर कोई बावफ़ा नहीं होता
प्यार से हर भरा नहीं होता
मैं नहीं जीता जीवन फ़िर तन्हा
वो अगर जो जुदा नहीं होता
चाह उसकी न दिल फ़िर रखता
जीस्त में वो मिला नहीं होता
आरजू फ़िर न होती मिलनें की
शहर उसके गया नहीं होता
प्यार की मंजिल जीत ले लेता
जो उससे फ़ासिला नहीं होता
आज रोता नहीं मुहब्बत में
फूल उसको दिया नहीं होता
प्यार ख़त जो नहीं आज़म लिखता
जख़्म गहरा हुआ नहीं होता
️
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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