
अब और ये नहीं होता इंतजार आज़म
( Ab aur ye nahi hota intezar azam )
अब और ये नहीं होता इंतजार आज़म
लौट आओ बनके जीवन में बहार आज़म
कैसे मैं साथ उसका ही छोड़ दूं भला अब
की प्यार है मुझे उससे बेशुमार आज़म
मैं जल रहा हूँ उल्फ़त की चोट से किसी की
टूटे दिल को ही मेरे आये क़रार आज़म
हाँ देखली है मैंनें तो नफ़रतें बहुत ही
आये इधर मुहब्बत की अब दयार आज़म
बन जाये हम सफ़र वो मेरा अब जिंदगी भर
जिसकी चढ़ा उल्फ़त का मुझपे ख़ुमार आज़म
तन्हा न होता फ़िर मैं यूं जिंदगी में अपनी
मेरा क़बूल कर लेता जो वो प्यार आज़म
मैं चाहता हूँ उसको दिल से भुलाना अपनें
वो याद आऐ दिल को पर बार बार आज़म