रोज़ हर दिल में मुहब्बत ढूंढ़ता हूँ
रोज़ हर दिल में मुहब्बत ढूंढ़ता हूँ
नफ़रतों में वो नज़ारत ढूंढ़ता हूँ!
रोज़ हर दिल में मुहब्बत ढूंढ़ता हूँ
हर गली में ही भटकता हूँ सारा दिन
जिंदगी की रोज़ राहत ढूंढ़ता हूँ
पर नहीं मिलती किसी में ही यहां तो
हर किसी में अच्छी आदत ढूंढ़ता हूँ
खो गऐ है प्यार भरे ख़त जो सनम के
मैं किताबों में उसके ख़त ढूंढ़ता हूँ
जो हमेशा दें वफ़ा की वो रवानी
मैं किसी में ऐसी चाहत ढूंढ़ता हूँ
मंजिले मेरी मिले जिससें हमेशा
रोज़ आज़म ऐसी सूरत ढूंढ़ता हूँ