हाँ वो कितनी कली देखो हसीन है
हाँ वो कितनी कली देखो हसीन है
हाँ वो कितनी कली देखो हसीन है!
अल्लाह की क़सम वो बहतरीन है
अल्लाह दिल से उसको ही भुला दें तू
उसकी तरफ़ मेरा हर पल ज़हीन है
की प्यार से कैसे जोते भला यारों
नफ़रत में बट गयी यारों ज़मीन है
हमला किया मुझपे अपनों ने हाँ मगर
साहब मेरे वो देखो क़ातिल तीन है
मैं देख लेता वो ही सूरत दूर से
मेरे न पास में यारों दूरबीन है
जो कर गया दग़ा आज़म वफ़ा में ही
उसका रहा नहीं कोई यक़ीन है
️
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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