औरत समपर्ण है | Aurat Samarpan Hai
औरत समपर्ण है
( Aurat Samarpan Hai )
औरत को एक जन्म में समझना चाहते हो
ग़लत फ़हमी में हो
औरत को समझने के लिये
एक जन्म नहीं, कई जन्म चाहिए
औरत का दिल समन्दर की तरह है
मोम की तरह है, पत्थर की तरह है
औरत समपर्ण है
आकर्षण है
पारे जैसा दर्पण है
यह सवाल है, यह ख़याल है
कुदरत का कमाल है
यह स्नेह की धार है
नफ़रत की तलवार है
औरत प्यार ही प्यार है
यह एक अनोखा राज़ है
प्रेम का साज़ है
औरत नखरा ओ नाज़ है
यह शबनम पे लिखी कहानी है
गंगा का निर्मल पानी है
औरत प्यार में बावरी है, दीवानी है
यह तो नर्म चमेली है
यह तो एक पहेली है
औरत सखी सहेली है
यह मधुर मिलन का धारा है
जलता हुआ शरारा है
सबसे हंसीं सहारा है
यह सपनों की दुनिया है
यह इक प्रेम का दरिया है
कहीं सीता कहीं यशोदा है
सौन्दर्य की तस्वीर है यह
प्राकृति की तहरीर है यह
मानव की तक़दीर है यह
हर घर की बुनियाद है यह
एक मधुर संवाद है यह
शीशा कहीं फ़ौलाद है यह
फूलों का गुलज़ार है यह
कुल देवी अवतार है यह
रहस्य भरा किरदार है यह
यह एक अभिव्यक्ति है
यह एक शक्ति है
औरत एक भक्ति है
तुम इसे
एक जन्म में समझना चाहते हो
ग़लत फ़हमी में हो ।
डॉ जसप्रीत कौर फ़लक
( लुधियाना )