होली के रंग | Poem Holi ke Rang
होली के रंग
( Holi ke Rang )
होली के इन्द्रधनुषी रंग,
बड़े लाजवाब हैं।
जो ऐंठे रहते हैं हरदम,
और नाक पे गुस्सा,
उनके लिये इस होली में
बढ़िया जवाब है।
रंगों से है परहेज़ जिन्हें,
दुबके पड़े घर पर,
निकलेंगे अगर बाहर
तो खानाखराब है।
ऐ दोस्त मेरे होली-ए-दस्तूर
ग़ज़ब का,
दो दिल मिले और चेहरों पर
छाया शबाब है।
दो दुश्मनों के दिल न मिलें,
लगें चौके पे छक्के
कर लें सलाम आज फिर,
दिन नायाब है।
चिलमन से परी झांकती
खुशियां लिये हज़ार,
शायद लगे है दूसरी
जरीना वहाब है।
मुद्दत के बाद आज फिर
रोशन हुआ आंगन,
लगता जमीं पे फिर से
आया आफ़ताब है।
अब भूलिये शिकवे गिले,
बरसों से हैं बोझिल,
अब होली में तो निकले
ज़रा “आदाब है।”
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)