नयनों के तारे आजा | Naino ke Tare Aaja
नयनों के तारे आजा
( Naino ke Tare Aaja )
नयनो के तारे आजा, बुढ़ापे के सहारे आजा।
दूध का कर्ज चुकाने, बेटे फर्ज निभाने आजा।
नयनो के तारे आजा
खूब पढ़ाया तुमको, लाड लडाया तुमको।
अंगुली पकड़कर, चलना सिखाया तुमको।
तुतलाती बोली प्यारी, शीश झुकाने आजा।
ताक रही आंखें रस्ता, झलक दिखाने आजा।
नयनो के तारे आजा
तूने खूब कमाया पैसा, ना कोई तेरे जैसा।
दूर जाकर भूल गया, बदल गया तू कैसा।
गांव की हवा खाजा, बाबूजी की दवा लाजा।
टूट गया है छप्पर, ढांढस हमको बंधावाजा।
नयनो के तारे आजा
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )