“स्त्री व नारी विमर्श”: नारी सशक्तिकरण की प्रेरणादायी कहानियों का संग्रह
नारी प्रधान कहानियां
डॉ सुमनधर्म वीर द्वारा लिखी गई किताब “स्त्री व नारी विमर्श” हमने पढ़ी । यह किताब बहुत ही अच्छी तरह से लिखी गई है। क्योंकि इस किताब में नारी प्रधान कहानियां हैं ।
किस तरह से हमारा समाज एक नारी को देखता है चाहे वह अपने मायके में रहे या ससुराल में रहे लेकिन दोनों तरफ के समाज की सोच आज भी वैसे ही है जैसे आज से वर्षों पहले थी । हमको लगता है कि आने वाले समय में भी अपना समाज अपनी सोच को नहीं बदलना चाहता है क्योंकि आज भी एजुकेटेड लोग सबसे पहले अंधविश्वास में यकीन करते हैं ना की किताबों पर।
नाटकों का सार्थक
नामकरण
डॉ सुमन धर्मवीर द्वारा लिखे तीन नाटकों में से पहला नाटक है :
मानव धर्म
लेखिका डॉक्टर सुमन धर्मवीर मानव धर्म को इस तरह उजागर करती हैं।नाटक का सार यह है कि
मानवता वह विशेष गुण है, जिसके बिना मानव मानव नहीं नहीं कहा जा सकता । मानवता उस व्यवहार का नाम है जिससे दूसरों को दुख न पहुंचे उनका अहित ना हो। एक दूसरे को देखकर क्रोध की भावना जागृत ना हो। संक्षेप में सहृदयता , शिष्ट और मिष्ठ व्यवहार का नाम ही मानवता है और इसे हम “मानव धर्म” कहते हैं ।
इस संसार में वर्तमान समय में हर प्राणी अपने जाति तथा वर्ण अनुसार किसी न किसी धर्म संप्रदाय से जुड़ा है और इन्हीं धर्म संप्रदाय के नियमों का पालन करना ही आज का मनुष्य अपना धर्म मानता है क्योंकि कहीं ना कहीं आज के मानव इस दुनिया में असली मानव धर्म को भूल गए या भूलते जा रहे हैं।
वे समझते हैं कि भगवान, ईश्वर, यीशु मसीह, तथा अल्लाह एवं गुरु नानक जी को याद करने ,उनकी प्रार्थना तथा उनकी सेवा करना उनका धर्म है और वह इस धर्म को मानव का धर्म समझते हैं। जबकि आज ऐसे मनुष्य की जरूरत है जो एक मानव होकर दूसरे मानव को अपने समान समझ सके तथा एक दूसरे के लिए हमेशा खड़े हो सके। यही मानव धर्म है।
लेखिका का दूसरा नाटक है :
विनय
विनय शब्द संस्कृत भाषा के क्रिया शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है नेतृत्व करना ,प्रशिक्षित करना, मार्गदर्शन करना या वैकल्पिक रूप से शिक्षित करना या सीखाना होता है। विनय का प्रयोग महात्मा बुद्ध ने अपनी संपूर्ण शिक्षाओं को संदर्भित करने के लिए किया था । बौद्ध अभ्यास में इसकी अभिन्न भूमिका है ।
विनय वह क्रिया रूपी शब्द है जो हर व्यक्ति के अंदर एक भाव के रूप में होता है या हो सकता है क्योंकि विनय के अर्थ अनुसार इसका सबके पास होना सरल नहीं है । विनय एक शब्द रूपी, क्रिया रूपी वह भाव है जिसे मनुष्य अपनी शिक्षा तथा मार्मिक ज्ञान से अपने अंदर उत्पन्न करता है ।
जिस प्रकार महात्मा बुद्ध ने अपने विनय से अपनी शिक्षाओं को जनहित वचन कल्याण के लिए विनय भाव से मनुष्य तक पहुंचाया। वह अतुल्य है । आज समाज के हर प्राणी को अपने अंदर विनय के भाव को जागृत करने की आवश्यकता है।
विनय न केवल एक भाव बल्कि एक प्राणी को दूसरे प्राणी से जोड़ने की कड़ी है। एक मनुष्य में जिस प्रकार दया, प्रेम तथा क्षमता का भाव होता है उसी प्रकार मनुष्य में विनय का भाव होना भी आवश्यक है ।
मनुष्य अपने अंदर की शालीनता अपने भावों से व्यक्त करता है इसलिए जब मनुष्य के भाव अच्छी क्रिया के होंगे तो स्वयं ही उनके कर्म अच्छे होंगे जिससे जन कल्याण तथा समाज का उद्धार होगा।
डॉ सुमन धर्मवीर का तीसरा नाटक है:
रिलेशनशिप
इस नाटक से यह समझ विकसित होती है कि यह वह एकमात्र शब्द है जिसमें संसार का प्राणी बंदी है ।
जब किसी मनुष्य का जन्म होता है तो वह इस शब्द से बिना किसी क्रिया के बंध जाता है। उस नवजात शिशु को किसी भी प्रकार का ज्ञान नहीं होता है फिर भी वह रिश्ते में किसी का पुत्र ,भाई , पौत्र इत्यादि संबंधों में बंध जाता है।
एक मनुष्य जन्म के उपरांत न केवल पारिवारिक रूप से अपितु सामाजिक रूप से भी किसी न किसी रिश्ते में बंध जाता है । कहा जाए तो रिश्ते बुरे नहीं है क्योंकि इन रिश्तों में कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो एक मनुष्य को मनुष्य बनाते हैं तथा उसे बंधनों में रखकर सही तथा गलत का भेद बताते हैं।
इन्हीं रिश्तो में सबसे प्यारा रिश्ता मां या जननी का होता है। ऐसा ही एक रिश्ता पिता यानी पालनहार जनक का होता है जिन्हें कुछ मनुष्य अपने भाव से ईश्वर के समान दर्जा देते हैं तथा उनका इस प्रकार सम्मान करते हैं रिलेशनशिप का अर्थ तो बस इतना ही है कि किसी के साथ या किन्हीं दो व्यक्ति अथवा संगठनों या देश के बीच का संबंध ही रिलेशनशिप है।
परंतु आम मानव के भाव से यह रिश्ते बड़े ही नाजुक धागों से बंधे होते हैं । इन रिश्तों में किसी मनुष्य का उसकी मां से संबंध बड़ा ही गहरा प्रेमपूर्ण व सम्मान से भरा है तो कहीं भाई का भाई से संबंध । भाई वह बहन का। बहन बहन का। पिता पुत्र का।
पुत्री का पिता से संबंध।
दादा का संबंध पोते से बहुत ही प्यार होता है। कुछ मनुष्य अपने इन रिश्तों की न केवल कद्र करते हैं बल्कि उन्हें प्रेम पूर्वक जीवन भर निभाते हैं वहीं कुछ मनुष्य ना तो अपने रिश्तों की कद्र करते हैं और ना उन्हें समझ पाते हैं।
वे केवल अपने लिए जीते और मरते हैं हमारे समाज में कुछ ऐसे महान व्यक्ति भी हुए जिन्होंने न केवल अपने पारिवारिक रिश्ते निभाए बल्कि सामाजिक रिश्तों को स्वीकार कर अपना कर्तव्य निभाया । हमारे ही बीच ऐसे भी व्यक्ति हैं जो एक रिश्ता भ अपने देश से निभाते हैं ।
और देश के लिए खुशी से मरने को तैयार भी होते हैं। रिलेशनशिप ना केवल एक शब्द है बल्कि एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से जोड़ने की रस्सी है। जो कई भावों से एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्तियों से जोड़ती है । सभी को न केवल रिश्ते बनाने चाहिए बल्कि उन्हें प्रेमपूर्वक निभाना भी चाहिए।
लेखिका के तीनों ही नाटक सफल हैं। सार्थक हैं। प्रासंगिक हैं।
डॉ सुमन धरम वीर द्वारा लिखी गई किताब “स्त्री व नारी विमर्श” किताब बहुत ही बारीकी से सामाजिक समस्याओं का हल प्रस्तुत करती है।
मेरे हिसाब से मेरी तरफ से इस बुक के लिए रेटिंग 100% है और हम आशा करते हैं कि डॉक्टर सुमन धर्म वीर जी फ्यूचर में भी इसी तरह की और भी बुक्स लिखने की पूरी-पूरी कोशिश करेंगी।
Er.Yogendra Pal Singh
Government Girls Polytechnic
( Risia Bahraich U.P. )