मां पर प्यारी सी कविता
मां पर प्यारी सी कविता
ऐ टूटते हुए तारे दुआ कबूल तो करो मेरी
मेरी माँ को मेरे सामने सलामत सदा रखना||
हँसते मुस्कुराते चेहरे आँखों की नमी देखी है
परदेश में सब कुछ है माँ बस तेरी कमी देखी हैं||
उजाले को गुमान था अपनी कलाकारी पर
माँ के आँखे खोलते ही वह भी फीका पड़ गया||
अभी बचपन है मेरा पुरानी हिमाकत नहीं छोड़ पाया
अब भी रूठ जात हूँ माँ से वो आदत नहीं छोड़ पाया||
मातृ दिवस पर इसी तरह यदि यूँ ही पर्व मनायेंगे
सच कहता हूँ एक दिन वृद्धाश्रम में ताले लग जायेंगे||
आनंद त्रिपाठी “आतुर “
(मऊगंज म. प्र.)