मेरी यह कहानी है जरा हट के, नाम रखे हैं बड़े सोच समझ के

प्रस्तुत कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है। इसका किसी भी तरह का किसी से कोई भी संबंध नहीं है। विद्युत उपकरण कंपनी के नाम का इस्तेमाल करके लेखक ने यह कहानी लिखी है। यदि कोई नाम या घटना किसी से मिलती है तो इसे मात्र संयोग समझा जाए।

“मेरी यह कहानी है जरा हट के,
नाम रखे हैं बड़े सोच समझ के”

रवि सुमित और सुजाता का बेटा था। खेतान परिवार का इकलौता वारिस। रवि खेतान
ओरिएंट कॉलेज ” में पढ़ता था। 6 फुट का हट्टा कट्टा सुन्दर नौजवान। डील डॉल ऐसी कि कॉलेज की सभी लड़कियाँ उस पर फ़िदा थी……!! लेकिन वह अपनी ही क्लास में पढ़ने वाली एक लड़की उषा बजाज को दिल ही दिल में चाहता था।

कॉलेज के आख़िरी साल में एक दिन वो उसे गोदरेज रेस्टोरेंट में लेकर जाता है। वहीं पर सबके सामने अपने प्यार का इज़हार करता है………शादी का प्रस्ताव रखता है ………..और  लाइफलोंग साथ निभाने का वादा भी करता है….।

लड़का अच्छे घर  खानदान से होता है इसलिए लड़की के पिता लोकेश गौतम (LG)  बजाज और  माता लक्ष्मी बजाज दोनों शादी के लिए मान जाते हैं और रवि -उषा की शादी हो जाती हैं…….। इस तरह खेतान और बजाज  दोनों परिवार एक हो जाते हैं और  पैनासोनिक रिसोर्ट में एक आलिशान पार्टी रखते हैं।

शादी के बाद उनका बच्चा होता है जिसका नाम वे लोग सूर्या रखते हैं।  कुछ समय बाद सूर्या
फिलिप्स कान्वेंट स्कूल”  में पढ़ने जाता है।  वह क्रिश्चियन कम्युनिटी से बहुत प्रभावित होता है……।

वो बड़ा होकर धर्म परिवर्तन कर लेता है  ……और .
…हिंदू से क्रिश्चियन बन जाता है! अपना नाम भी  सूर्या से बदलकर सैमसंग कर देता है।

इस वजह से उसके माता-पिता नाराज होकर उसे घर से बाहर निकाल देते हैं वह ” हिताची ” अपार्टमेंट में किराए पर फ्लैट लेकर रहने लगता है
सैमसंग ऑर्टेम नाम की कंपनी में जॉब करना शुरू करता है।

कंपनी के बॉश * मिस्टर *वर्लपूल  उसकी काबिलियत देखकर उसके काम से बहुत खुश होते हैं…..। वहाँ पर उसकी मुलाकात हैवेल्स नाम की एक स्लिम एंड ब्यूटीफुल लड़की से होती है।

दोनों में प्यार हो जाता है। जॉब के बाद अक्सर दोनों ऑरेंज  कैफे में जाते  है और घंटों बातें करते हैं। दूसरे के साथ टाइम स्पेंड करते हैं।

कुछ ही दिनों बाद दोनों शादी कर लेते हैं। शादी के बाद उनके यहाँ जुड़वां बेटे होते है जिनका नाम वे लोग क्रॉम्पटन  और  वोल्टास रखते हैं।

दोनों बच्चे इतने प्यारे होते हैं कि उषा और रवि अपना सारा गुस्सा भूलाकर अपने पोतों के साथ साथ बेटे बहु को भी अपना लेते हैं। इस तरह प्यार से मिल-जुल कर “केल्विनेटर भवन” में रहने लगते है।
कहानी यहीं पर समाप्त होती है।


सुमित मानधना ‘गौरव”

सूरत
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#laughterkefatke

आप लोग मोबाइल नीचे रख कर कहां जा रहे हैं मैं फिर से आऊँगा एक नयी कहानी लेकर एक नए अंदाज के साथ।

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