तेरी दीद के बाद | Teri Deed ke Baad
तेरी दीद के बाद
( Teri deed ke baad )
जहां में कुछ नहीं नायाब तेरी दीद के बाद
कहाँ से आये कोई ख़्वाब तेरी दीद के बाद
है बेख़बर दिल-ए-बेताब तेरी दीद के बाद
जमाल-ए-मस्ती-ए-गरक़ाब तेरी दीद के बाद
बनाने वाले ने तुझको बना के जब देखा
बनाये फिर कई गिर्दाब तेरी दीद के बाद
हर ऐक शाम वो छत पर से ताकता था क़मर
पर अब फ़िज़ूल है महताब तेरी दीद के बाद
बस ऐक गोशा-ए-कमरे में जा रखा खुद को
न अब अदू हैं न अहबाब तेरी दीद के बाद
ये क़ाएनात जो बरसों से एक सेहरा थी
हुई है सब्ज़ा-ओ-शादाब तेरी दीद के बाद
कि मुस्कुराते हुए कर रहे हैं सारे क़ुबूल
असीर होने के असबाब तेरी दीद के बाद
तने हुए थे अभी ऐन तेरे आने तक
जो कह रहे हैं अब आदाब तेरी दीद के बाद
कोई तो तर्क हो कैसे है क्यूँ हुआ है ‘असद’
शुरूअ’ ज़र्बत-ए-मिज़राब तेरी दीद के बाद
असद अकबराबादी