आज़म नैय्यर की ग़ज़लें | Aazam Nayyar Poetry
दिल अपना तो
याद बहुत आता वो अक्सर है ?
आँखें आंसूओं से यूं तर है
जब से छोड़ गया है साथ वहीं
खाली लगता अब तो ये घर है
उल्फ़त के दिन खोये है ऐसे
नफ़रत का हर पल अब मंजर है
क्या लेना नफ़रत की बातों से
दिल अपना तो यारों शायर है
दोस्त जिसे दिल से सच्चा माना
मारा नफ़रत का ही खंज़र है
गुल लेगा क्या वो ही उल्फ़त का
उल्फ़त से दिल उसका बंजर है
किससे आज़म बात करूं दिल की
कोई न यहाँ तो अपना पर है
है प्यार ही वतन में
है प्यार ही वतन में
गुल खिल रहे चमन में
ऊंचा रहे तिरंगा
हर व़क्त इस गगन में
रखना ख़ुदा मुहब्बत
तू देश की फ़बन में
कोई न आंच आये
हो मुल्क बस अमन में
सुन के अदू डरे जो
जय हिंद हो हर झन में
दुश्मन वतन के मारूं
आज़म ये ही ज़हन में
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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