आदमी और आदमियत
आदमी और आदमियत
आदमी …
खोता जा रहा है
आदमियत
होता जा रहा है
संवेदन शून्य ….
भूल गया है वो
इन्सानित
गिरवी रख दी है
मानवीयता
आ गई है उसमें
हैवानियत
भरी हुई है उसके
दिलोदिमाग में
शैतानियत……!!!!
निर्मल जैन ‘नीर’
ऋषभदेव/राजस्थान